लेखनी प्रतियोगिता -12-Nov-2022 कुछ तो लोग कहैगे
शीर्षक : कुछ तो लोग कहैगे
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गीतू ने जब कमरे के बाहर बरामदे में कदम रखा तब वहाँ से कुछ दूर मेरे पडौ़स के घर से कुछ औरतौ की आपस में बातें करने की आवाज आरही थी।
गीतू उस दीवार के पास जाकर खडी़ होगयी और उनकी आपस की बातें सुनने की कोशिश करने लगी। वहाँतीन चार औरतें जोर जोर से बोल रही थी।
एक औरत की आवाज आई देख रज्जो यह बहू पहले तो राघव को खा मयी अब मालूम पड़ता है देवर पर निशाना है । यह पुराने जन्म की नागिन मालूम पड़ती है।
दूसरी औरत उसकी हाँ में हाँ मिलाती हुई बोली," राधा तू सही कह रही है वह तो शक्ल से ही नागिन लगती है मैने तो ठकुराइन चाची को पहले दिनही कहा था कि चाची यह बहू तो यहाँ नही रहेगी। यह शहर की चिडि़या है उड़कर वही चली जायेगी। "
तीसरी औरत बोली," देखो उसकी आँखें कैसी सफेद है जैसे अभी डस लेगी ऐसी लगती है। "
उनकी बातें सुनकर गीतू के दिल को बहुत बडा़ धक्का लगा और वह बैड पर जाकर उल्टी गिर कर आँसूँ बहाने लगी। और वह सोचने लगी यह सब ऐसा क्यौ बोल रही है। मैने क्या किया है जो सारा दोष मुझे मिल रहा है। इसमें मेरा दोष किस तरह होगया।
तब तक गीतू की सास उसके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आई। जब उन्होंने बहू की आँखों में आँसू देखकर पूछने लगी," गीतू इन आँखौ में आँसू क्यों ,? क्या किसीने कुछ कहा है। नही बेटा इस तरह रोते नहीं। "
तब गीतू आपनी सास से लिपट कर रोने लगी और बोली," नही माँजी इस शादी को रोक दो मैने आपसे हमेशा मना किया था कि मुझे अब इन झंझटों में नहीं फसना जब वह ही साथ नहीं निभा सके तो!
गीतू की सास ने उसके मुँह पर अपना हाथ रखकर बोली," नहीं बेटा खुशी के समय पर ऐसे अपशब्द नहीं बोलते क्याहुआ कुछ तो बता ? किसने क्या कह दिया ?"
गीतू ने वह सब अपनी सास को बता दिया जो अभी औरतें आपस में बात कर रही थी।
गीतू की सास उसे समझाते हुए बोली" देख गीतू मैने या तेरे पापा ने तुझसे कुछ कहा है ? हम किस किसका मुँह पकडेंगे ? यह दुनिया है जिसको अच्छा लगेगा बोलता है तूने वह गाना नहीं सुना। "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना।" किसी की बातों पर ध्यान मत दें यह हमने किया है। तू किसी की मत सुन। "
गीतू ने अपनी सास की बात सुनी वह चुप हुई।
गाँव के ठाकुर रक्ष पाल सिंह के दो बेटे थे उनका सपना था कि दोनों बेटौ को खूब पढा़कर अच्छी शादी करूँगा। लेकिन जैसे ही बडे़ बेटे की जाब लगी वह अपने साथ कालेज में पढ़ने वाली एक लड़की से शादी करने की जिद पर अड़ गया।
ठकुराइन समझदार थी उन्होंने लड़की से अकेलें में बात की और बोली " देख बेटा तुझे हमारे साथ गाँव में रहना मन्जूर है तब तेरी शादी राघव से कर देती हूँ क्योकि वह अ तुझे अपने साथ नही रख पायेगा इसका कारण हमें अभी बेटी की शादी भी करनी है । राघव के पापा तो अब कुछ नहीं कर सकते है वह तो बैड रैस्ट पर है। घर का पूरा खर्चा राघव के कन्धौ पर है। सोच समझ खर जबाब दे देना। "
गीतू ने हाँ करदी और फिर दोंनौ की शादी होगयी। लोगौ ने तबभी तरह तरह की बातें की थी। गीतू के ससुराल में उसका जोर शोर से स्वागत हुआ। राघव के पापा ने एक पैसा भी दहेज में नहीं लिया।
सब कुछ बहुत ही अच्छे ढंग है होगया था कुछ दिनौ बाद गीतू गर्भवती भी होगयी। वह अपनी सास की लाड़ली होगयी चसे सास के साथ रहने में कोई परेशानी नही थी उसने सास ससुर की सेवा से उनका दिल जीत लिया था।
उसघर में अब नये महमान के आने की खुशिया मनाने के दिन नजदीक आरहे थे उसी समय उस घर में खुशियौ की जगह वहाँ मातम छागया।
एक सड़क दुर्घटना में राघव की मौत होगयी
गीतू का सर्वस्व लुट गया । जब राघव का शव उनके आँगन में रखा था तबभी औरते तरह तरह की बातें कर रही थी कोई बोलरही थी कि बहू के कदम अच्छे नहीं है वह कुछ ही समय में राघव को खागयी।
राघव की माँ ने अपने कान बन्द कर लिए और बहू के सामने अपनी आँखौ से एक भी आँसू नही निकलने दिया क्यौकि वह जानती थी कि यदि बहू को कुछ होगया तो उसके गर्भ में जो बच्चा है उसका क्या होगा?
राघव का अन्तिम संस्कार होगया। लेकिन उसकी माँ शान्त होगयी वह न स्वयं रोयी और न गीतू को रोने दिया। जब गीतू खाना नहीं खारही तब बोली "देख गीतू मेरा भी बेटा गया है मै भी तो खाना खारही हूँ तू भी खा अपने लिए न सही अपने अन्दर पलरहे राघव के खून के लिए ही सही। "
इह तरह उसकी सास ने उसका साहस बढा़या। और कुछ दिन बाद गीतू ने एक सुन्दर सी बेटी को जन्म दिया । अब पूरे घर में खुशियाँ छागयी लेकिन गीतू राघव कोनही भूल पारही थी।
राघव की बेटी को पिंकी कहकर पुकारने लगे। पिंकी एक साल की हुई और वह आँगन में चलना सीखने लगी। गीतू का देवर सुमित उसको अपने से दूर नहीं जाने देता था।वह देर रात तक गीतू के कमरे में पिंकी के साथ रहता था।
गीतू के साथ रहने से वह गीतू की तरफ आकर्षित होने लगा जब कभी वह पिंकी को गीतू को देता अथवा उसकी गोद से लेता था तब जानबूझकर उससे छूने की कोशिश करता था।
जब कि गीतू उससे दूर रहना चाहती थी परन्तु वह यजबूर हो जाती थी। इन बातौ का अहसास गीतू की सास को भी होगया था।
गीतू की सास एक दिन अपने पति से बोली " सुनते हो जी सुमित के लिए अब कोई लड़की देखलो और उसकी शादी करदो क्यौकि वह पिंकी के बहाने गीतू के साथ रहता है दोनौ जवान है कल को कुछ गलत होगया तो नाक कट जायेगी। फिर मुझसे मत कहना। और बाहर वाले लोग क्या कहेंगे। औरते तो मुझे बात भी नहीं करने देगीं।
वह बोले," तुम कही बात चलाओ अब मै तो कहीं आजा नहीं सकता हूँ । अपना सुमित कुछ करता भी नहीं है उस निठल्ले को अपनी लड़की कौन देगा। राघव वाली जाब उसको मिलजाने दो फिर देखता हूँ। "
"मेरी एक बात मानो तो बोलूँ ?" वह बोली।
वह बोले," बोलो ! "
"सुमित को गीतू के बिषय में पूछकर देखो यह ठीक रहेगा। "
" तू पागल तो नहीं होगयी है? " वह बोले।
,"मै पागल नही हू़ मैने जमाना देखा है नही तो तुम सुमित से बात करके बोलो कि एक लड़की वाले देखने आरहे है वह क्या जबाब देता है। सब मालूम होजायेगा।"
एक दिन सुमित को उसके पापा ने जब कहाँ कि कल एक लड़की वाले तुझे देखने आरहे है तब वह बहाने बनाने लगा कि मुझे शादी नहीं करनी है।
अन्त में जब उससे गीतू के लिए पूछा गया एक दो बार मना करने के बिद वह तैयार होगया। गीतू ने सुमित के ऊपर छोड़ दिया।
जब यह बात मोहल्ले की औरतौ को मालूम हुई वह तरह तरह की बाते करने लगी।
गीतू व सुमित का विवाह होगया इसके लिए ठाकुर साहब ने एक पार्टी भी की थी। उस पार्टी में भी पुरुष और औरते अनेक तरह की बातें कर रहे थे लेकिन उनकी बितौ को यह कहकर नकार दिया कि :-
" अब तो लोग कहेंगे लोगौ का काम है कहना""
" बेकार की बातौ में क्यौ भीग गये तेरे नयना "
आज की प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 07:58 PM
शानदार
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Palak chopra
15-Nov-2022 02:06 PM
Khoob 😊
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Rafael Swann
14-Nov-2022 07:47 PM
Behtreen 🙏
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